अल्पविराम (,)

हिन्दी में प्रयुक्त विराम चिह्नों में अल्पविराम का प्रयोग सबसे अधिक होता है। अतएव, इसके प्रयोग के सामान्य नियम जान लेने चाहिए।

‘अल्पविराम’ (Comma) का अर्थ है, थोड़ी देर के लिए रुकना या ठहरना। हर लेखक को अपनी विभिन्न मनोदशाओं से गुजरना पड़ता है। कुछ मनोदशाएँ ऐसी हैं, जहाँ लेखक को अल्पविराम का उपयोग करना पड़ता है। ये अनिवार्य दशाएँ हैं। कुछ मनोदशाएँ ऐसी हैं, जहाँ अल्पविराम का उपयोग वर्जित है। हमें इन्हीं तीन स्थितियों को ध्यान में रखकर अल्पविराम के व्यवहार पर विचार करना चाहिए। अल्पविराम के प्रयोग की निम्नलिखित स्थितियाँ हो सकती हैं—

वाक्य में जब दो से अधिक समान पदों, पदांशों अथवा वाक्यों में संयोजक अव्यय ‘और’ की गुंजाइश हो, तब वहाँ अल्पविराम का प्रयोग होता है; जैसे—

  • पदों में—
    • वाक्य में समान पदों को अलग करने के लिए; जैसे—
      • राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न राजभवन में पधारे।
      • वह अपनी जमीन, जायदाद, इज्जत, मान-मर्यादा सब कुछ खो बैठा।
    • एक ही वर्ग के तीन या अधिक पद आएँ तो अंतिम को छोड़कर अन्य शब्दों के बाद; जैसे—
      • शारीरिक स्वास्थ्य के लिए दौड़ना, तैरना, खेलना और कूदना लाभप्रद होता है।
    • वाक्य में प्रयुक्त पदों के जोड़ों को पृथक करने के लिए; जैसे—
      • दुःख और सुख, पाप और पुण्य, रात और दिन ईश्वर के बनाये हुए हैं।
    • उपर्युक्त उदाहरणों में दो से अधिक समान पदों में पार्थक्य दिखाया गया है। कुछ और उदाहरण लेते हैं—
      • राम, मोहन, सुरेश और श्याम घर चले गये।
      • छोटी, हल्की, गोल और किनारदार थाली लाओ।
      • उठकर, नहाकर और खाकर रंजन विद्यालय चला गया।
  • वाक्यों में— किसी वाक्यांश या उपवाक्य को अलग करने के लिए; जैसे—
    • वह प्रतिदिन आता है, काम करता है और चला जाता है।
    • पाठ्यक्रम के बदल जाने से, मैं समझता हूँ, इस वर्ष परीक्षाफल बहुत अच्छा रहेगा।
  • उपाधियों को अलग करने के लिए; जैसे—
    • एम॰ए॰, एम॰फिल॰, पीएच॰डी॰, डी॰लिट॰
  • किसी उद्धरण से पूर्व अर्थात् किसी व्यक्ति की उक्ति के पहले अल्पविराम का प्रयोग होता है; जैसे—
    • उन्होंने कहा, ‘मैं अब राजनीति से संन्यास ले रहा हूँ।’
    • मोहन ने कहा, “मैं कल पटना जाऊँगा।”
    • उपर्युक्त वाक्य को इस प्रकार भी लिखा जा सकता है—
      • ‘मोहन ने कहा कि मैं कल पटना जाऊँगा।’
  • कुछ लोग ‘कि’ के बाद अल्पविराम लगाते हैं, लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं है; जैसे—
    • राम ने कहा कि, मैं कल पटना जाऊँगा।
    • ऐसा लिखना अशुद्ध है। ‘कि’ स्वयं अल्पविराम है; अतः इसके बाद एक और अल्पविराम लगाना कोई अर्थ नहीं रखता। उपर्युक्त वाक्य को हम दो ढंग से लिख सकते हैं—
      • ‘राम ने कहा, ‘मैं कल पटना जाऊँगा।’
      • ‘राम ने कहा कि मैं कल पटना जाऊँगा।’
    • उपर्युक्त दोनों शुद्ध हैं।
  • एक ही शब्द या वाक्यांश की पुनरावृत्ति होने पर; जैसे—
    • दौड़ो, दौड़ो, आग लग गयी।
    • वहाँ नहीं, वहाँ नहीं, यहाँ आकर बैठो।
  • विशेषण उपवाक्यों के बीच में; जैसे—
    • वह लड़का, जिसे हमने देखा था, राम का छोटा भाई है।
  • संबोधन शब्द के बाद और यदि संबोधन शब्द बीच में हो तो उसके पहले और बाद में; जैसे—
    • हरीश, यहाँ आओ।
    • यहाँ आओ, हरीश, यहाँ बैठो।
  • हाँ या नहीं के बाद; जैसे—
    • हाँ, मैं यह काम कर सकता हूँ।
    • नहीं, मैं यह काम नहीं कर सकता।
  • जिस वाक्य में ‘वह’, ‘यह’, ‘तब’, ‘तो’, ‘या’, ‘अब’ इत्यादि लुप्त हों, वहाँ अल्पविराम का प्रयोग किया जा सकता है; जैसे—
    • मैं जो कहता हूँ, कान लगाकर सुनो। (यहाँ ‘वह’ लुप्त है)
    • उन्हें कब छुट्टी मिलेगी, कह नहीं सकता। (यहाँ ‘यह’ लुप्त है।)
    • जब करना ही है, कर डालो। (यहाँ ‘तब’ लुप्त है।)
    • कहना था सो कह दिया, तुम जानो। (यहाँ ‘अब’ लुप्त है।)
    • यदि आप प्रयागराज से लौटें, मेरे लिए रसगुल्ले लेते आइएगा। (यहाँ ‘तो’ लुप्त है।)
    • वह जहाँ जाता है, बैठ जाता है। (यहाँ ‘वहाँ’ लुप्त है।)
  • बस, हाँ, नहीं, सचमुच, अतः, वस्तुतः, अच्छा— जैसे शब्दों से आरम्भ होनेवाले वाक्यों में इन शब्दों के बाद अल्पविराम लगता है; जैसे—
    • बस, हो गया, रहने दीजिए।
    • हाँ, तुम ऐसा कह सकते हो।
    • नहीं, ऐसा नहीं हो सकता।
    • सचमुच, तुम बड़े नादान हो।
    • अतः, तुम्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए।
    • वस्तुतः, वह पागल है।
    • अच्छा, तो लीजिए, चलिए।
  • एक ही क्रिया की पुनरावृत्ति होने पर क्रिया के स्थान पर; जैसे—
    • रमेश लखनऊ होकर वाराणसी गया, संजय प्रयागराज होकर।
  • संयुक्त और मिश्र उपवाक्यों में; जैसे—
    • मैं आपके घर अवश्य आता, लेकिन मेरे यहाँ कुछ मेहमान आ रहे हैं।
    • मैं आपके यहाँ नहीं आ सकूँगा, क्योंकि मुझे कल बाहर जाना है।
  • जब किसी लम्बे वाक्य में एक से अधिक स्वतन्त्र वाक्यांशों का प्रयोग हो, तब अल्पविराम का प्रयोग आवश्यक हो जाता है; जैसे—
    • चाहती थी, ऐसे बोलूँ, जैसे कोयल प्रथम किरण से बोलती है, जब वह उसमें स्पर्श की सरसराहट भर देती है, ऐसे बोलूँ, जैसे कचनार के फूलों के बीच से वह बुलबुल बोल रही है, जो जितना भी धीरे बोलती है, फूलों के खुले मुँह से उतने ही मुखर बोल झर-झर पड़ते हैं।

हिन्दी पर आंग्ल भाषा का प्रभाव

अँग्रेजी भाषा में ‘और’ (and) के पहले भी अल्पविराम (,) का प्रयोग, एक विशेष स्थिति में, होता है। इसके लिए नियम यह है कि जब दो बड़े वाक्यांशों (clauses) अथवा दो बड़े पदांशों (phrases) को ‘and’ जोड़ता हो तब ‘and’ के पहले अल्पविराम का प्रयोग किया जाना चाहिए। जैसे—

  • He entered the room, locked the room, and seated himself at the desk.
  • He shot the landlord, and the barman only escaped by ducking behind the counter.

हिन्दी में अँग्रेजी के इस विराम-सम्बन्धी नियम की पाबन्दी आवश्यक नहीं है। फिर भी, कुछ लेखक ‘और’ के पहले अल्पविराम का चिह्न लगाते हैं।

जहाँ शब्दों की पुनरावृत्ति की जाय और भावातिरेक में उनपर विशेष बल दिया जाए, वहाँ अल्पविराम का प्रयोग होता है; जैसे—

  • वह दूर से, बहुत दूर से आ रहा है।
  • सुनो, सुनो, वह कुछ कह रही है।
  • नहीं, नहीं, ऐसा कभी नहीं हो सकता।

यदि ये बातें नाटकीय ढंग से कही जायें, तो अल्पविराम के स्थान पर विस्मयादिबोधक चिह्न लगाए जा सकते हैं।

यदि वाक्य में कोई अन्तर्वर्ती पदांश (parenthesis) या वाक्यखण्ड आ जाय, तो अल्पविराम का प्रयोग किया जा सकता है; जैसे—

  • श्री मोहनलाल देसाई के युग का ग्राम सेवक, जेल में गया हुआ सत्याग्रही कहानी-लेखक, अब कहाँ है?
  • क्रोध, चाहे जैसा भी हो, मनुष्य को दुर्बल बनाता है।
  • उपन्यास की सम्भावनाएँ अब क्या है और विशेषकर मेरे लिए कितनी क्या हो सकती हैं, यह नहीं जानता।

सेठ फूलचन्द, चारों बेटों के नाम, कुल १५,००० रुपये छोड़ गये थे।

इस प्रकार के अन्तर्वर्ती उपवाक्यखण्डों में अल्पविराम का प्रयोग प्रायः अँगरेजी की वाक्य-रचना का प्रभाव लिए होता है। हिन्दी कथासाहित्य में आज इसका प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। इन प्रयोगों से निश्चय ही वाक्य के अन्तर्वतीं भाव तथा विचार स्पष्ट होते हैं। किन्तु, अँगरेजी में इस प्रकार के प्रयोगों की अतिशयता है। वहाँ वाक्य के बीच too, however, such as, as if, notwithstanding जैसे— शब्दों के पहले और बाद भी अल्पविराम का प्रयोग होता है; जैसे—

  • This, however, is certain.
  • And then, too, there is a further reason.
  • The story, such as it is, may be summarised as follows.

हिन्दी में भी अँग्रेजी के अनुकरण पर निम्नलिखित वाक्यों में अल्पविराम का प्रयोग हुआ है—

  • निश्चय ही, यह सत्य है।
  • फिर भी, वह एक अच्छा आदमी है।
  • किन्तु, मैं ऐसा नहीं मानता।
  • उदाहरण के लिए, ऐसा कहा जा सकता है।
  • तो, तुम जा सकते हो।
  • और, एक तुम हो।
  • वस्तुतः, यह तुम्हारा भ्रम है।
  • अतः, उसे आना ही चाहिए।

निस्सन्देह, हिन्दी को अँग्रेजी से काम की अच्छी बातें लेनी चाहिए; किन्तु जहाँ तक विराम चिह्नों को अपनाने की बात है, इसमें थोड़ी सावधानी और मर्यादा बरतने की आवश्यकता है।

सच तो यह है कि अँग्रेजी में प्रयुक्त विराम चिह्न अँग्रेजी के बोलने के विशिष्ट तौर-तरीकों और भौगोलिक स्थितियों से प्रभावित होने के कारण उनकी उच्चारण विधि हिन्दी से भिन्न है। ऐसी स्थिति में यह कोई आवश्यक नहीं कि हर हालत में हम उनका अनुकरण करें ही। हाँ, कथा साहित्य, नाटक, रूपक और एकांकियों में इनकी थोड़ी बहुत छूट दी जा सकती है; क्योंकि साहित्य के इन रूपों में मनोभावों की अभिव्यक्ति अधिक होती है।

यदि वाक्य के बीच पर, इसीसे, इसलिए, किन्तु, परन्तु, अतः, क्योंकि, जिससे, तथापि इत्यादि अव्ययों का प्रयोग होता हो, तो इनके पहले अल्पविराम लगाया जा सकता है; जैसे—

  • लिपियाँ अलग रह सकती हैं, पर भाषा हिन्दी ही रहे।
  • यह लड़का पढ़ने में तेज है, इसीसे लोग इसे चाहते हैं।
  • आज मैं स्कूल नहीं जाऊँगा, क्योंकि काम पूरा नहीं किया है।
  • ऐसा कोई काम न करो, जिससे तुम्हारी बदनामी हो।
  • उसने परिश्रम किया, अतएव परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ।
  • मैं कल घर जाता, किन्तु एक आवश्यक कार्य आ गया है।

जहाँ किसी व्यक्ति को सम्बोधित किया जाय, वहाँ अल्पविराम लगता है; जैसे—

  • सज्जनों, समय आ गया है, सावधान हो जाओ।
  • प्रिय महाशय, मैं आपका आभारी हूँ।
  • मोहन, अब तुम घर जा सकते हो।
  • देवियों और सज्जनों, याद रखें, देश पर संकट छाया है।

यहाँ हमें अँग्रेजी के अनावश्यक अनुकरण से बचना चाहिए। अँग्रेजी में किसी व्यक्ति का विशेष परिचय देते समय उसके नाम के पहले और बाद अल्पविराम का प्रयोग इस प्रकार होता है; जैसे—

  • General Wolf, the hero of Quebec, was born at Westerham.
  • Eliot, the great poet and critic, was a scholar.

हिन्दी में यदि इनका हू-ब-हू अनुवाद किया जाय, तो वह हिन्दी की प्रकृति और वाक्य-रचना से मेल नहीं खायेगा; जैसे—

  • जनरल वुल्फ, क्वीबेक का नायक, वेस्टरहैम में पैदा हुआ था।
  • इलियट, महान् कवि और आलोचक, बड़े विद्वान थे।

वस्तुतः हिन्दी में इनका अनुवाद इस प्रकार होना चाहिए—

  • क्वीबेक के नायक जेनरल वुल्फ का जन्म वेस्टरहैम में हुआ था ।
  • महान् कवि और आलोचक इलियट बड़े विद्वान थे।

यदि वाक्य में प्रयुक्त किसी व्यक्ति या वस्तु की विशिष्टता किसी सम्बन्धवाचक सर्वनाम के माध्यम से बतानी हो, तो वहाँ अल्पविराम का प्रयोग निम्नलिखित रीति से किया जा सकता है—

  • मेरा भाई, जो एक इंजीनियर है, इंग्लैण्ड गया है।
  • दो यात्री, जो रेल-दुर्घटना के शिकार हुए थे, अब अच्छे हैं।
  • यह कहानी, जो किसी मजदूर के जीवन से सम्बद्ध है, बड़ी मार्मिक है।

अँग्रेजी में दो समान वैकल्पिक वस्तुओं तथा स्थानों की ‘अथवा’, ‘या’ आदि से सम्बद्ध करने पर उनके पहले अल्पविराम लगाया जाता है; जैसे—

  • Rajgriha, or Rajgir, was the former capital of Magadha.
  • Nitre, or salt Petre, is dug from the earth.

इसके ठीक विपरीत, दो भिन्न वैकल्पिक वस्तुओं तथा स्थानों को ‘अथवा’, ‘या’ आदि से जोड़ने की स्थिति में ‘अथवा’, ‘या’ आदि के पहले अल्पविराम नहीं लगाया जाता; जैसे—

  • I should like to live in Ayodhya or Prayagraj.
  • He came from Sarnath or Kashi.

हिन्दी में उक्त नियमों का पालन, खेद है, कड़ाई से नहीं होता। हिन्दी भाषा में सामान्यतः ‘अथवा’, ‘या’ आदि के पहले अल्पविराम का चिह्न नहीं लगता; जैसे—

  • राजगृह या राजगीर मगध की पुरानी राजधानी था।
  • कल मोहन अथवा हरि कलकत्ता जायेगा।

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