उद्धरण चिह्न के दो रूप हैं—
- इकहरे उद्धरण चिह्न (‘ ’)
- दुहरे उद्धरण चिह्न (“ ”)
इकहरे उद्धरण चिह्न (‘ ’)
किसी व्यक्ति या लेखक का उपनाम, पुस्तक, समाचारपत्र, लेख का शीर्षक इत्यादि का नाम इकहरे उद्धरण चिह्न के साथ लिखा जाता है। अर्थात् जहाँ कोई विशेष शब्द, पद, वाक्य-खण्ड इत्यादि उद्धृत किये जायें वहाँ इकहरे उद्धरण लगते हैं; जैसे—
- ‘प्रसाद’ छायावाद के प्रवर्तक थे।
- ‘साकेत’ एक महाकाव्य है।
- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
- ‘कामायनी’ की कथा संक्षेप में लिखिए।
- ‘निराला’ पागल नहीं थे।
- ‘किशोर-भारती’ का प्रकाशन हर महीने होता है।
- ‘जुही की कली’ का सारांश अपनी भाषा में लिखो।
- सिद्धराज ‘पागल’ एक अच्छे कवि हैं।
- ‘प्रदीप’ एक हिन्दी दैनिक पत्र है।
व्याकरण, तर्क, अलंकार आदि साहित्यिक विषयों के उद्धरणों में; जैसे—
- ‘वह धीरे-धीरे चलता है।’ इस वाक्य में ‘धीरे-धीरे’ क्रिया विशेषण है।
कहावतों में; जैसे—
- एक तो स्वयं गलत काम किया, उस पर दूसरों को दोष दे रहा है। ठीक ही कहा है ‘उलटा चोर कोतवाल को डाँटे’।
दुहरे उद्धरण चिह्न (“ ”)
जहाँ किसी पुस्तक से कोई वाक्य या अवतरण ज्यों-का-त्यों उद्धृत किया जाए, वहाँ दुहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे—
- “जनता के सम्पूर्ण जीवन को स्पर्श करने वाला क्षात्र-धर्म है। क्षात्र-धर्म के इसी व्यापकत्व के कारण हमारे मुख्य अवतार राम और कृष्ण क्षत्रिय हैं। क्षात्र-धर्म ऐकान्तिक नहीं है। उसका सम्बन्ध लोक-रक्षा से है।” —चिन्तामणि; आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
इनका प्रयोग किसी कथन को यथावत प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है; जैसे—
- शास्त्री जी ने “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया।
- बाल गंगाधर तिलक ने कहा था— “स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।”
किसी महापुरुष के शब्दों को उद्धृत करने के लिए; जैसे—
- “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा।”— सुभाष चंद्र बोस
महत्त्वपूर्ण कथन, कहावत, सन्धि आदि को उद्धृत करने में दुहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे—
- भारतेन्दु ने कहा था “देश को राष्ट्रीय साहित्य चाहिए।”
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- लोप विराम / वर्जन-चिह्न— (…)
- लाघव विराम / संक्षेप सूचक चिह्न— (०)
- तुल्यता सूचक चिह्न— (=)
- पाद टिप्पणी चिह्न / तारक चिह्न — (*)