निर्देशक चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है—
- संवादों अथवा वार्तालाप में किसी कथन को उद्धृत करने से पहले; जैसे—
- अध्यापक— भारत के प्रथम प्रधानमंत्री कौन थे?
- छात्र— पंडित जवाहरलाल नेहरू।
- ‘निम्नलिखित’ या ‘निम्नांकित’ शब्द के बाद; जैसे—
- विशेष योग्यता के साथ उत्तीर्ण छात्रों के नाम निम्नलिखित हैं—
- प्रमोद, सुभाष, गीता और इंदिरा।
- विशेष योग्यता के साथ उत्तीर्ण छात्रों के नाम निम्नलिखित हैं—
- किसी शब्द या वाक्यांश की व्याख्या करने के लिए; जैसे—
- आजकल हर व्यक्ति चाहता है— यश, सम्मान, सुख और संपत्ति।
- किसी पुस्तक या अवतरण के साथ, उसके लेखक के नाम से पहले; जैसे—
- गोदान — प्रेमचंद
- स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है— बाल गंगाधर तिलक
- किसी वाक्य में सहसा भाव परिवर्तन होने पर; जैसे—
- मैंने तुम्हें पाला, पोसा, बड़ा किया— खैर, यह सब बताने का अब क्या लाभ है।
- कहना, लिखना, बोलना, बताना, आदि क्रियाओं के साथ; जैसे—
- गीता ने कहा— मैं चली जाऊँगी।
- उदाहरण या नमूना देने के लिए, ‘जैसे’ और ‘यथा’ शब्द के बाद; यथा—
- योजक चिह्न का प्रयोग शब्द युग्मों के बीच में होता है; जैसे— नगर-नगर, रहते-रहते आदि।
संबन्धित लेख—
- विराम चिह्न : प्रयोग और नियम
- पूर्ण विराम (।)
- अर्ध विराम (;)
- अल्पविराम (,)
- योजक चिह्न (-)
- प्रश्नवाचक चिह्न (?)
- विस्मयादिबोधक चिह्न (!)
- उद्धरण चिह्न
- कोष्ठक चिह्न ( )
- हंसपद चिह्न (^)
- विवरण चिह्न / अपूर्ण विराम / न्यून विराम — (: और :—)
- लोप विराम / वर्जन-चिह्न— (…)
- लाघव विराम / संक्षेप सूचक चिह्न— (०)
- तुल्यता सूचक चिह्न— (=)
- पाद टिप्पणी चिह्न / तारक चिह्न — (*)