हर्ष, विषाद, विस्मय, घृणा, आश्चर्य, करुणा, भय इत्यादि भाव व्यक्त करने के लिये विस्मयादिबोधक चिह्न (Sign of Exclamation) का प्रयोग होता है। विस्मयादिबोधक चिह्न में प्रश्नकर्ता उत्तर की अपेक्षा नहीं करता। इसका प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है—
- आह्लाद (प्रसन्नता), दुःख, विस्मय आदि मनोभावों को व्यक्त करने में; जैसे—
- वाह! तुम्हारे क्या कहने। (आह्लाद/प्रसन्नता)
- अहा! कैसा सुंदर दृश्य है। (आह्लाद/प्रसन्नता)
- अरे! आप यहाँ कैसे? (आश्चर्य)
- हाय! बेचारा मर गया। (दुःख)
- प्रश्नसूचक वाक्यों के अंत में मनोवेग प्रकट करने के लिए; जैसे—
- जवाब क्यों नहीं देते, क्या गूँगे हो !
- जिन प्रश्नों के उत्तर की अपेक्षा न हो; जैसे—
- अब क्या हो सकता है ! जो होना था, सो हो गया।
- अपने से बड़े को सादर सम्बोधित करने में इस चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे—
- हे राम ! तुम मेरा दुःख दूर करो।
- हे ईश्वर ! सबका कल्याण हो।
- संबोधन के लिए; जैसे—
- तरुण ! ज़रा यहाँ आओ।
- जहाँ अपने से छोटों के प्रति शुभकामनाएँ और सद्भावनाएँ प्रकट की जायें; जैसे—
- भगवान् तुम्हारा भला करें !
- यशस्वी होओ !
- उसका पुत्र चिरंजीवी हो !
- प्रिय उपेंद्र, स्नेहाशीर्वाद !
- जहाँ मन की हँसी-खुशी व्यक्त की जाय; जैसे—
- कैसा निखरा रूप है !
- तुम्हारी जीत होकर रही, शाबाश !
- वाह ! वाह ! कितना अच्छा गीत गाया तुमने।
- मनोवेग में क्रमिक वृद्धि जताने के लिए; जैसे—
- दुर्भाग्य ! महादुर्भाग्य !!
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