सामान्य वाक्य अशुद्धियाँ

  1. बन्दूख एक बहुत ही उपयोगी शस्त्र है।
    • बन्दूक एक बहुत ही उपयोगी अस्त्र है।
  2. भाला एक बहुत ही उपयोगी शस्त्र है।
    • भाला एक बहुत ही उपयोगी अस्त्र है।
  3. तलवार एक बहुत ही उपयोगी अस्त्र है।
    • तलवार एक बहुत ही उपयोगी शस्त्र है।
    • उपर्युक्त वाक्यों में प्रयुक्त अस्त्र और शस्त्र पदों के अर्थ में भेद है—
      • अस्त्र – फेंककर चलाया जानेवाला हथियार।
      • शस्त्र – हाथ में लेकर चलाया जानेवाला हथियार।
  4. श्रीकृष्ण के अनेकों नाम हैं।
    • श्रीकृष्ण के अनेक नाम हैं।
  5. एक गाय, दो घोड़े और एक बकरी मैदान में चर रहे हैं।
    • एक गाय, दो घोड़े और एक बकरी मैदान में चर रही हैं।
  6. एक बकरी, दो गाय और एक घोड़ा मैदान में चर रही हैं।
    • एक बकरी, दो गाय और एक घोड़ा मैदान में चर रहे हैं। (यदि एक वाक्य में दोनों लिंग और वचनों के अनेक ‘विभक्तिरहित’ कर्ता ‘और’ या किसी अन्य अव्यय से युक्त हो, तो क्रिया बहुवचन में होगी और उसका लिंग अंतिम कर्ता के अनुसार होगा।)
  7. बाघ और बकरी एक घाट पानी पीती है।
    • बाघ और बकरी एक घाट पानी पीते हैं। (‘बाघ’ पुल्लिंग और ‘बकरी’ स्त्रीलिंग है परन्तु दोनों ‘एकवचन’ है।)
  8. घोड़ा, गाय और बकरी मैदान में चर रही हैं।
    • घोड़ा, गाय और बकरी मैदान में चर रहे हैं।
      • (‘घोड़ा’ पुल्लिंग है जबकि ‘गाय’ और ‘बकरी’ स्त्रीलिंग है परन्तु ये तीनों कर्ता ‘एकवचन’ है।)
      • (यदि वाक्य में दोनों लिंग के ‘एकवचन’ के ‘विभक्तिरहित’ अनेक कर्ता ‘और’ या इसी अर्थ में व्यवहृत किसी अन्य अव्यय से संयुक्त हों, तो क्रिया प्रायः बहुवचन और पुल्लिंग होगी।)
  9. कई रेलवे के कर्मचारियों की गिरफ्तारी हुई।
    • रेलवे के कई कर्मचारियों की गिरफ्तारी हुई।
  10. मुझे सन्देह है कि युद्ध 1994 ई० के पहले बन्द हो जाएगा।
    • मैं समझता हूँ कि युद्ध 1994 ई० के पहले बन्द हो जायेगा। / मैं आशा करता हूँ कि युद्ध 1994 ई० के पहले बन्द हो जायेगा। (शब्द चयन और अँग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद से होने वाली अशुद्धि।)
  11. छात्रों ने पण्डित नेहरू को अभिनन्दन-पत्र प्रदान किया।
    • छात्रों ने पण्डित नेहरू को अभिनन्दन-पत्र अर्पित किया। (‘प्रदान’ का प्रयोग बड़ों द्वारा छोटों को कुछ दिये जाने के सन्दर्भ में किया जाता है। ‘अर्पण’ का प्रयोग छोटों द्वारा बड़ों को कुछ सम्मान सहित देने कि लिए प्रयोग किया जाता है।)
  12. भारत सरकार ने श्रीमती रुक्मिणी अरुण्डेल को ‘पद्म-भूषण’ की पदवी अर्पित की।
    • भारत सरकार ने श्रीमती रुक्मिणी अरुण्डेल को ‘पद्म-भूषण’ की पदवी प्रदान की। (बड़ों द्वारा दिये गये पुरस्कार या आशीर्वाद के अर्थ में ‘प्रदान’ शब्द का प्रयोग किया जाता है न कि ‘अर्पण’ का।)
  13. शेक्सपियर के नाट्य-दृश्यों का प्रयोग होना चाहिए।
    • शेक्सपियर के नाटकों का अभिनय होना चाहिए।
  14. मैं गाने का कसरत कर रहा हूँ।
    • मैं गाने का अभ्यास कर रहा हूँ। / मैं गाने का रियाज कर रहा हूँ।
  15. वह गीत की दो-चार लड़ियाँ गाती है।
    • वह गीत की दो-चार कड़ियाँ गाती है।
  16. हमारी सौभाग्यवती कन्या का विवाह विवाह होने जा रहा है।
    • हमारी आयुष्मती कन्या का विवाह होने जा रहा है।
    • (‘सौभाग्यवती’ का प्रयोग विवाहिता के लिए और ‘आयुष्मती’ का प्रयोग कन्या के लिए किया जाता है।
  17. वहाँ भारी-भरकम भीड़ जमा थी।
    • वहाँ भारी भीड़ लगी थी।
  18. शोक है कि आपने मेरे पत्रों का कोई उत्तर नहीं दिया।
    • खेद है कि आपने मेरे पत्रों का कोई उत्तर नहीं दिया।
  19. साहित्य और जीवन का घोर सम्बन्ध है।
    • साहित्य और जीवन का अभिन्न सम्बन्ध है। / साहित्य और जीवन का घनिष्ठ सम्बन्ध है। / साहित्य और जीवन का अन्योन्याश्रित सम्बन्ध है।
  20. आपका पत्र सधन्यवाद या धन्यवाद-सहित मिला।
    • आपका पत्र मिला। धन्यवाद। (‘धन्यवाद’ के अशुद्ध प्रयोगवाले वाक्य का अर्थ हो जायेगा— पत्र तो मिला ही, साथ में धन्यवाद भी मिला।)
  21. पति-पत्नी के झगड़े का हेतु क्या हो सकता है?
    • पति-पत्नी में झगड़े का कारण क्या हो सकता है? (‘हेतु’ विशिष्ट अर्थ में और ‘कारण’ साधारण अर्थ में प्रयुक्त होता है। ‘हेतु’ का मुख्य अर्थ है— वह उद्देश्य, जिससे कोई कार्य किया जाय।)
  22. लड़का मिठाई लेकर भागता हुआ घर आया।
    • लड़का मिठाई लेकर दौड़ता हुआ घर आया।
    • (‘भागना’ भय या आशंका के कारण और ‘दौड़ना’ साधारण अर्थ में लिया जाता है।)
  23. वर्तमान महासमर विश्व की सर्वप्रमुख समस्या है।
    • वर्तमान महासमर संसार की सबसे बड़ी समस्या है। (अँग्रेजी में जो अर्थ word और universe का है, उन्हीं अर्थों में क्रमशः ‘संसार’ और ‘विश्व’ का प्रयोग होता है।)
  24. इस समय आपकी आयु चालीस वर्ष की है।
    • इस समय आपकी अवस्था चालीस वर्ष की है।
    • (‘आयु’ समस्त जीवन-काल और ‘अवस्था’ साधारण ‘वय’ या ‘उम्र’ को कहते हैं।)
  25. उसकी पत्नी बड़ी लजीज है।
    • पुलाव बहुत लजीज है।
    • (सिर्फ खाने-पीने की चीजें ही ‘लजीज’ हो सकती हैं।)
  26. एक प्रलयी प्रचण्ड हुंकार हुआ।
    • एक प्रलयंकर हुंकार हुआ।
    • (प्रलय का विशेषण ‘प्रलयंकर’ है, प्रलयी नहीं।)
  27. मेरा नाम श्री आनन्दकुमारजी है।
    • मेरा नाम आनन्द कुमार है। (अपने नाम के पहले और अन्त में क्रमशः ‘श्री’ और ‘जी’ लगाना अहंकार और शिष्टाचारहीनता का परिचायक है।)
  28. मैं इसका वह अर्थ नहीं लगाता, जो कि आप लगाते हैं।
    • मैं इसका यह अर्थ नहीं लगाता जो आप लगाते हैं।
    • (यहाँ ‘कि’ के प्रयोग से ‘अधिकपदत्व’ का दोष आता है।)
  29. अभंग एक प्रकार का मराठी छन्द होता है।
    • अभंग एक मराठी छन्द है।
    • (यहाँ ‘प्रकार का’ अपप्रयोग है। अतः, यहाँ ‘अधिकपदत्व’-दोष है।)
  30. उनकी अपनी प्रखर बुद्धिशक्ति उनके हर काम में प्रकट होती है।
    • उनके हर काम में प्रखर बुद्धिशक्ति प्रकट होती है। (सोचने का काम पराये मन से नहीं होता। अतः ‘अपनी’ शब्द अनावश्यक है।)
  31. दो वर्षों के बीच भारत और ब्रिटेन के बीच कटुता उत्पन्न हो गयी।
    • दो वर्षों के बीच भारत और ब्रिटेन में कटुता उत्पन्न हो गयी। (यहाँ ‘बीच’ शब्द की द्विरुक्ति के कारण ‘कथितपदत्व’ दोष आ गया है।)
  32. उस वन में प्रातःकाल के समय बहुत ही सुहावना दृश्य होता था।
    • उस वन में प्रातःकाल का दृश्य बहुत ही सुहावना होता था। (वाक्य में एक ही अर्थ या भाव सूचित करनेवाले दो शब्द प्रयुक्त नहीं होने चाहिए। यहाँ ‘प्रातःकाल’ और ‘समय’ का प्रयोग दोषपूर्ण है। अतः, यहाँ भी कथितपदत्व-दोष है।)
  33. आपका भवदीय।
    • आपका या भवदीय।
  34. आजकल वहाँ काफी सरगर्मी दृष्टिगोचर हो रही है।
    • आजकल वहाँ काफी सरगर्मी दिखायी देती है। (‘सरगर्मी’ के साथ ‘दृष्टिगोचर’ का प्रयोग भाषा के नाते बेमेल है।)
  35. वकीलों ने कागजात का निरीक्षण किया।
    • वकीलों ने कागजों की जाँच की। (यहाँ भी ‘कागजात’ और निरीक्षण’ का बेमेल प्रयोग है।)
  36. ऐसे चित्रों में से किसी व्यक्ति या घटना के दृश्य या रूप का ही अंकन प्रधान होता है।
    • किसी व्यक्ति या घटना के रूप या दृश्य का अंकन ही ऐसे चित्रों में प्रधान होता है। (अशुद्ध वाक्य में पदों का क्रम शिथिल है।)
  37. वहाँ बहुत-से पशु और पक्षी उड़ते और चरते हुए दिखायी दिये।
    • वहाँ बहुत-से पशु और पक्षी चरते और उड़ते दिखायी दिये। (अशुद्ध वाक्य में पशु और पक्षी के क्रम में क्रियाएँ नहीं आयीं।)
  38. यह चित्र श्री शारदाजी जब नागौर पधारे थे, उस समय लिया गया था।
    • यह चित्र उस समय लिया गया था, जब श्री शारदाजी नागौर पधारे थे। (अशुद्ध वाक्य में उपवाक्य अँगरेजी ढंग पर है, हिन्दी ढंग पर नहीं।)
  39. नारायण, जिसे छह महीने की सजा हुई थी, की अपील मंजूर की गयी।
    • छह महीने की सजा पानेवाले नारायण की अपील मंजूर हो गयी। (अशुद्ध वाक्य में ‘की’ विभक्ति यथास्थान प्रयुक्त नहीं है। इसे ‘अक्रमत्वदोष’ कहते हैं।)
  40. उसने ‘निवेदिता’ शीर्षक कविता लिखी गई थी, खड़ी बोली की।
    • उसने खड़ी बोली में ‘निवेदिता’ शीर्षक कविता लिखी थी।
  41. भारतीयों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को बताएँ कि भारत उनका है।
    • भारतीयों को चाहिए कि अपने बच्चों को बताएँ कि भारत हमारा है। (अशुद्ध अँग्रेजी का ‘परोक्ष कथन’ है। यह अन्धानुकरण हिन्दी में ठीक नहीं।)
  42. मैं अपनी बात का स्पष्टीकरण करने के लिए तैयार हूँ।
    • मैं अपनी बात के स्पष्टीकरण के लिए तैयार हूँ। (अशुद्ध वाक्य में ‘करना’ क्रिया का वाचक ‘करण’ पहले से ही मौजूद है। साधारण वाक्य में दो-दो क्रियावाचक पदों का प्रयोग नहीं होता।)
  43. यह काम आप पर निर्भर करता है।
    • यह काम आप पर निर्भर है। (‘निर्भर’ के साथ ‘करना’ क्रिया का प्रयोग दोषपूर्ण है।)
  44. मैं आपकी भक्ति या श्रद्धा करता हूँ।
    • मैं आप पर श्रद्धा (या भक्ति) रखता हूँ। (श्रद्धा, भक्ति आदि के साथ ‘करना’ क्रिया अशुद्ध है।)
  45. हमारे शिक्षक प्रश्न पूछते हैं।
    • हमारे शिक्षक प्रश्न करते हैं। (प्रश्न के साथ ‘करना’ क्रिया का प्रयोग होता है।)
  46. मैंने एक वर्ष तक उनकी प्रतीक्षा देखी।
    • मैंने एक वर्ष तक उनकी प्रतीक्षा की। (‘प्रतीक्षा’ की जाती है, देखी नहीं जाती।)
  47. सारा राज्य उसके लिए एक थाती थी।
    • सारा राज्य उसके लिए थाती था। (व्याकरण के अनुसार वाक्य की क्रिया सदा कर्ता या उद्देश्य के अनुसार होती है। यहाँ अशुद्ध वाक्य में विधेय के अनुसार क्रिया का रूप बदलता है, जो ठीक नहीं है।)
  48. कई सौ वर्षों तक भारत के गले में पराधीनता की बेड़ियाँ पड़ी रहीं।
    • कई सौ वर्षों तक भारत के पैरों में पराधीनता की बेड़ियाँ पड़ी रहीं। (पैरों में बेड़ियाँ पड़ती हैं और गले में फन्दा या तौक।)
  49. ऐसी एकाध बातें और देखने में आती हैं।
    • ऐसी एकाध बात और देखने में आती है। (‘एकाध’ के साथ एकवचन का प्रयोग होता है।)
  50. मैं आपका दर्शन करने आया हूँ।
    • मैं आपके दर्शन करने आया हूँ। (हिन्दी में दर्शन, प्राण, समाचार, दाम, लोग, होश, हिज्जे, भाग्य और आँसू सदा बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं।)
  51. यह कविता अनेक भावों को प्रकट करती है।
    • यह कविता अनेक भाव प्रकट करती है। (अशुद्ध वाक्य में ‘को’ का प्रयोग व्यर्थ है।)
  52. इस बात के कहने में किसी को संकोच न होगा।
    • यह बात कहने में किसी को संकोच न होगा। (‘के’ का प्रयोग व्यर्थ है।)
  53. उसके चाचा को लड़की हुई है।
    • उसके चाचा के लड़की हुई है। (सम्बन्ध, स्वामित्व और सम्प्रदान के अर्थ में सम्बन्धकारक या सम्बन्ध क्रिया के साथ होता है और उसकी ‘के’ विभक्ति आती है।— कामताप्रसाद गुरु)
  54. शब्द केवल संकेतमात्र हैं।
    • शब्द केवल संकेत हैं। / शब्द संकेतमात्र हैं। (वाक्य में किसी एक पद पर विशेष बल देने के लिए ‘पर’, ‘केवल’, ‘मात्र’ और ‘ही’ – इन चार अव्यवों में से किसी एक का ही प्रयोग होता है।)
  55. इन दोनों में केवल यही अन्तर है।
    • इन दोनों में यही अन्तर है।
    • (वाक्य में प्रयुक्त ‘यही = यह + ही’ का ‘ही’ और ‘केवल’ पर्यायवाची हैं।)
  56. हम तो अवश्य ही जायेंगे।
    • हम तो अवश्य जायेंगे। (‘अवश्य’ और ‘ही’ का प्रयोग एक साथ नहीं होता है।
  57. किसी भी आदमी को भेज दो।
    • किसी आदमी को भेज दो। (‘किस + ही = किसी’ के ‘ही’ से ही काम चल जाता है। उसके स्थान पर ‘भी’ का प्रयोग भद्दा है।)
  58. वह बिलकुल भी बात करना नहीं चाहती थी।
    • वह बिलकुल बात करना नहीं चाहती थी।
  59. चाहे जैसे भी हो, तुम वहाँ जाओ।
    • चाहे जैसे हो, तुम वहाँ जाओ। (‘चाहे’ और ‘बिलकुल’ के बाद ‘भी’ का प्रयोग नहीं किया जाता है।
  60. मैंने सूई, कंघी, दर्पण और पुस्तकें मोल लिये।
    • मैंने सूई, कंघी, दर्पण और पुस्तकें मोल लीं।
    • नियम— ‘ने’ चिह्नवाले, अर्थात् सप्रत्यय कर्ता और ‘को’ चिह्न से रहित, अर्थात् अप्रत्यय कर्म की स्थिति में अन्तिम कर्म के वचन और लिंग के अनुसार क्रिया होगी।
  61. थोड़ी देर बाद वे वापस लौट आये ।
    • थोड़ी देर बाद वे लौट आये। / थोड़ी देर बाद वे वापस आये।
  62. प्रधानाध्यापक लड़के चुनेंगे। (इस वाक्य के दो अर्थ हो सकते हैं- ‘प्रधानाध्यापक को लड़के चुनेंगे’ और ‘लड़कों का चुनाव प्रधानाध्यापक करेंगे’, अतः वाक्य स्पष्ट नहीं है।)
    • प्रधानाध्यापक लड़कों का चुनाव करेंगे।
  63. मैं हल करने की तलाश में हूँ। (‘हल’ के दो अर्थ हैं- ‘समाधान’ और किसान का ‘हल’।)
    • मैं इस सवाल के हल की तलाश में हूँ। / मैं हल के तलाश में हूँ।
  64. तब शायद यह काम जरूर हो जायेगा।
    • तब यह काम जरूर हो जायेगा।
    • (‘शायद’ और ‘जरूर’ का प्रयोग एक साथ नहीं होता ।)
  65. प्रायः ऐसे अवसर आते हैं, जिसमें लोगों को कभी-कभी अपना मत बदलना पड़ता है।
    • प्रायः ऐसे अवसर आते हैं, जबकि लोगों को अपना मत बदलना पड़ता है।
    • (‘प्रायः के साथ ‘कभी-कभी’ का प्रयोग अनुचित है। दोनों विरोधी अव्यय है।)
  66. पशुओं का झुण्ड चारों ओर पानी की चाह में घूम रहा था।
    • पशुओं का झुण्ड चारों ओर पानी की खोज में घूम रहा था।
    • (‘चाह’ में नहीं, बल्कि ‘तलाश’ या ‘खोज’ में घूमा-फिरा जाता है।)
  67. मेरे लिए ठण्डी बर्फ और गर्म आग लाओ।
    • मेरे लिए बर्फ और आग लाओ।
    • (‘बर्फ’ ठण्डी और ‘आग’ गर्म ही होती है।)
  68. हमारे यहाँ तरुण नवयुवकों की शिक्षा का अच्छा प्रबन्ध है।
    • हमारे यहाँ नवयुवकों की शिक्षा का अच्छा प्रबन्ध है।
    • (‘तरुण’ शब्द का प्रयोग व्यर्थ है; क्योंकि ‘नवयुवक’ तरुण होते ही हैं।)
  69. कृपया आप ही यह बताने का अनुग्रह करें।
    • कृपया आप ही यह बताएँ।
  70. मुझसे यह काम सम्भव नहीं हो सकता।
    • मुझसे यह काम सम्भव नहीं।
    • (‘सम्भव’ का अर्थ है ‘हो सकना’।)
  71. न केवल यही, बल्कि वे वहाँ से चले भी आये।
    • यही नहीं, बल्कि वे वहाँ से चले भी आये।
    • (‘केवल’ के साथ ‘यही’ का प्रयोग अशुद्ध है।)
  72. यह कहना आपकी भूल है।
    • यह कहना आपकी गलती है।
    • (हिन्दी-कृदन्त ‘भूल’ का अर्थ यहाँ ठीक नहीं बैठता। इसीलिए अरबी-तद्धित ‘गलती’ का प्रयोग उचित है। यों संस्कृत ‘त्रुटि’ भी यहाँ चल सकता है।)
  73. शास्त्रीजी की मृत्यु से हमें बड़ा खेद हुआ।
    • शास्त्रीजी की मृत्यु से हमें बड़ा दुःख हुआ।
    • (‘खेद’ साधारण जीवन की बात है, जबकि ‘दुःख’ नितान्त हानि की।)
  74. व्यायाम करना चाहिए, जिससे कि स्वस्थ रहें।
    • व्यायाम करना चाहिए, ताकि हम स्वस्थ रहें।
    • (‘ताकि’ फारसी अव्यव का हिन्दी-तद्भव है। ‘ता कुजा’ इसका फारसी-पर्याय है। यह हिन्दी में ज्यों-का-त्यों प्रचलित है। इसके स्थान पर, इसके अर्थ में अन्य कोई शब्द हिन्दी में नहीं है। जैसे, ‘कफन’ (अरबी) का पर्याय हिन्दी में नहीं है। ‘जिससे कि’ में ‘ताकि’ का अर्थ नहीं आता और फिर ‘जिससे’ के आगे उसी अर्थ का अव्यय ‘कि’ ठीक बैठता भी नहीं।)
  75. तुम्हारा यह कहना मेरे लिए बड़ी बात होगी।
    • तुम्हारा यह कहना मेरे लिए बड़ी बात होगा।
    • (‘कहना’ कर्ता है न कि ‘बात’। अतः, कर्ता के अनुसार क्रिया होनी चाहिए।)
  76. एक-एक करके सभी मर गये।
    • एक-एक कर सभी मर गये ।
    • (‘कर’ के बाद ‘के’, ‘कर’ का अर्थ देकर व्यर्थ आवृत्ति पैदा करता है।)
  77. वास्तव में वह बड़ा आदमी है।
    • वस्तुतः वह बड़ा आदमी है।
    • (‘वस्तुतः’ ही सही है। ‘वस्तुतः’ अव्यय है और ‘वास्तव’ विशेषण। विशेषण के बाद संज्ञा आती है, अधिकरण का चिह्न ‘में’ नहीं।)
  78. शिवाजी की खूब धाक जमी।
    • शिवाजी की काफी धाक जमी।
    • (‘खूब’ और ‘काफी’ में अर्थ का अन्तर है।)
  79. चरखा कातना चाहिए।
    • चरखा चलाना चाहिए।
    • (चरखा ‘चलाया’ जाता है और उसपर धागे काते जाते हैं।)
  80. उसने मुक्तहस्त से धन लुटाया।
    • उसने मुक्तहस्त धन लुटाया।
    • (‘मुक्तकण्ठ’ और ‘मुक्तहस्त’ का अर्थ ही है ‘मुक्तकण्ठ और मुक्तहस्त होकर’। अतः, यहाँ ‘से’ — जैसे करणकारक का चिह्न उक्त असमापिका का अर्थबोध कराता है।)
  81. राम और श्याम-सम्बन्धी चर्चा।
    • राम और श्याम से सम्बद्ध चर्चा।
    • (‘सम्बन्धी’ शब्द ‘श्याम’ से सम्बद्ध है, ‘राम’ से नहीं। अतः ‘राम-सम्बन्धी और श्याम-सम्बन्धी चर्चा’ यह अर्थ ‘सम्बन्धी’ शब्द न देकर केवल ‘श्याम’ से ही सम्बद्ध अर्थ देता है।)

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