प्रश्नवाचक चिह्न ((Sign of interrogation) का प्रयोग अधोलिखित अवस्थाओं में होता है—
- जहाँ प्रश्न करने या पूछे जाने का बोध हो; जैसे—
- क्या आप प्रयागराज से आ रहे हैं? आपका नाम क्या है?
- महाकुंभ कहाँ लगता है?
- एक ही वाक्य में जब कई प्रश्नसूचक उपवाक्य हों और सभी एक ही प्रधान उपवाक्य पर आश्रित हों तो अंतिम उपवाक्य के बाद; जैसे—
- मैं क्या करता हूँ, कहाँ जाता हूँ, क्या करता हूँ — यह सब मैं आपको क्यों बताऊँ?
- जहाँ स्थिति निश्चित न हो; जैसे—
- आप शायद अयोध्या के रहनेवाले हैं?
- संदेह प्रकट करने के लिए; जैसे—
- क्या कहा, वह परिश्रमी है?
- व्यंग्योक्तियों में; जैसे—
- भ्रष्टाचार इस युग का सबसे बड़ा शिष्टाचार है, है न?
- जहाँ घूसखोरी का बाजार गर्म है, वहाँ ईमानदारी कैसे टिक सकती है?
- व्यंग्यात्मक भाव प्रकट करने के लिए वाक्य के अंत में कोष्ठक में; जैसे—
- आजकल के नेता, गरीबी दूर करने, सांप्रदायिकता समाप्त करने का संकल्प लेकर ही राजनीति में उतरते हैं (?)
निम्नलिखित स्थितियों में प्रश्नसूचक चिह्न का प्रयोग नहीं होता—
- जिन वाक्यों में प्रश्नसूचक शब्द सम्बम्धसूचक का काम करें; जैसे—
- आपने क्या कहा, मैं कुछ नहीं समझ सका।
- जब प्रश्नसूचक उपवाक्य का प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए न होकर डाँटने के लिए किया जाए; जैसे—
- क्या बात है, चुप रहो।
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- उद्धरण चिह्न
- निर्देशक चिह्न (—)
- कोष्ठक चिह्न ( )
- हंसपद चिह्न (^)
- विवरण चिह्न / अपूर्ण विराम / न्यून विराम — (: और :—)
- लोप विराम / वर्जन-चिह्न— (…)
- लाघव विराम / संक्षेप सूचक चिह्न— (०)
- तुल्यता सूचक चिह्न— (=)
- पाद टिप्पणी चिह्न / तारक चिह्न — (*)