भूमिका
“पत्र आलेखन का ऐसा रूप, जिसके द्वारा समान सूचना, निर्देश, अनुदेश इत्यादि सभी सम्बन्धित अथवा अधीनस्थ अधिकारियों को विभिन्न कार्यों के संदर्भ में प्रतिलिपियों के माध्यम से प्रेषित किया जाता है, परिपत्र कहलाता है।”
या
“जब प्रेषक एक हो, विषय एक हो लेकिन प्रेषिती (प्राप्तकर्ता) अनेक हों तब सरकारी पत्र ही परिपत्र बन जाता है।”
यह अनेक विभागों/कार्यालयों को एक साथ भेजा जाता है। यह किसी विभाग अथवा कार्यालय द्वारा अपने अधीनस्थ कार्यालयों को भेजा जाता है।
इसका प्रारूप सरकारी पत्र के उसी प्रारूप का हो जायेगा जैसा सरकारी पत्र हो; यथा- यदि शासकीय पत्र का परिपत्र हो तो वह शासकीय पत्र के प्रारूप में होगा बस प्रेषिती (सेवा में) की जगह एक न होकर क्रम देकर सभी का उल्लेख कर दिया जायेगा।
अर्थात् इसकी अपनी कोई निश्चित भाषा-शैली नहीं होती, बल्कि परिपत्र की भाषा-शैली और प्रारूप उसी पत्र के अनुरूप हो जाता है जिस रूप में परिपत्र भेजा जाता है।
विशेषताएँ
- उद्गम और संचालन – प्रेषक एक, प्रेषिती अनेक। यथानुरूप एकदिशीय या द्विद्विशीय संचलन।
- विषयवस्तु – यह जिस पत्र पर आधारित होता है उसी की विषयवस्तु ग्रहण कर लेता है।
- प्रारूप एवं भाषा-शैली – इसकी कोई निश्चित भाषा-शैली और प्रारूप नहीं होती है, बल्कि यह पत्र के उसी प्रारूप व भाषा-शैली का अनुकरण करता है जिस में भेजा जाता है; यथा – सरकारी पत्र का परिपत्र सरकारी पत्र का प्रारूप व भाषा शैली में भेजा जाता है।
- अन्य – परिपत्र का शाब्दिक अर्थ एक से अधिक वत्रों को किसी सामान्य विषय पर भेजे जाने से है।
महत्त्व
- परिपत्र के प्रयोग से कार्यालयी कार्य-व्यवहार में एकरूपता आती है।
- समय, श्रम व संशाधन में बचत होती है।
- कार्य निष्पादन गुणात्मक व तीव्रतर होता है।
प्रारूप
प्रारूप – 1
प्रारूप – 2
प्रारूप – 3
सरकारी पत्र ( Official Letter )
कार्यालय आदेश ( Office Order )
अधिसूचना / विज्ञप्ति ( Notification )
कार्यालय ज्ञाप ( Office Memorandum )