भूमिका
“अनुस्मारक से तात्पर्य किसी प्राधिकारी को किसी मामले में किसी प्रकार की कार्यवाही हेतु स्मरण दिलाने से सम्बन्धित पत्र आलेखन से है।”
किसी (सरकारी) पत्र का उत्तर प्राप्त होने में देरी हो जाए या कोई आवश्यक मामला अत्यधिक समय से लम्बित हो और उस पर कार्यवाही रुकी हो, तो पुनः याद दिलाने के लिये जो पत्र भेजा जाता है, उसे अनुस्मारक कहते हैं।
अनुस्मारक निम्नलिखित पत्र-व्यवहार के रूप में भेजे जाते हैं –
- शासकीय पत्र ( Official Letter ),
- अर्ध-शासकीय पत्र ( Demi-Official Letter ),
- परिपत्र ( Circular ),
- द्रुतगामी पत्र या तुरंत पत्र ( Express Letter ),
- अशासकीय पत्र ( None-official Letter ),
- कार्यालय ज्ञाप ( Office Memorandum ),
- पृष्ठांकन ( Endorsement ),
- रेडियोग्राम ( Radiogram ),
- तार ( Telegram ) ( २०१३ से तार बंद कर दिया गया ),
- सेविंग्राम ( Saving-ram )।
विशेषताएँ
आधार |
विवरण |
उद्गम | सदैव उसी प्राधिकारी कार्यालय से जहाँ से मूल पत्र प्रेषित किया गया हो।
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गंतव्य | उस प्राधिकारी / कार्यालय को जिसके समक्ष पूर्व में प्रश्नगत वाद / प्रकरण लम्बित हो। |
विषयवस्तु | पूर्व पत्र-व्यवहार के विषयवस्तु की पूरक, जिसके शीघ्र निस्तारण हेतु कहा जाता है। |
भाषा शैली | अनुस्मारक-पत्र की अपनी कोई भाषा-शैली नहीं होती, बल्कि जिस पत्र प्रारूप में भेजा जाता है यह उसी के भाषायी और शैलीगत वैशिष्ट्य को धारण कर लेता है। |
प्रारूप | इसका प्रारूप भी भेजे गये प्रारूप का अनुकरण करता है। सम्बोधन, और समापन इत्यादि भी उसी पत्र-प्रारूप पर आधारित होते हैं। |
अन्य | अधिकारीगण व्यक्तिगत रुचि लेते हुए किसी प्रकरण के लम्बित रहने की दशा में उसके शीघ्र निस्तारण के लिये इसका प्रयोग करते हैं। इसमें पूर्व में की गयी कार्यवाही को आधार बनाया जाता है और मुख्य विषय का स्पष्ट उल्लेख करके कार्यवाही की अपेक्षा की जाती है।
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महत्त्व
- कार्यालयी व्यवहार में लम्बित मामलों के निपटान में अधिकारियों के परस्पर सहयोग की दृष्टि से अनुस्मारक का महत्त्व है।
- प्रशासकीय कार्यों में तीव्रता आती है।
- लम्बित मामलों का निस्तारण होना सम्भव होता है।
- इसकी प्रकृति पूरक अवश्य होती है, किन्तु इससे इसका महत्त्व कम नहीं हो जाता है।
प्रारूप से जुड़ी बातें
अनुस्मारक का अपना कोई निश्चित प्रारूप नहीं होता है, अत: इसे शासकीय पत्र के किसी भी प्रारूप पर भेजा जा सकता है। इस दृष्टि से इसे जिस पत्र-प्रारूप पर बनाया जाता है उसी के वैशिष्ठ्य को कुछेक बातों को छोड़कर ग्रहण कर लेता है :-
- संख्या की जगह अनुस्मारक संख्या लिखा जाता है।
- प्रथम प्रस्तर में सम्बन्धित पूर्वगामी पत्र का संक्षिप्त उल्लेख होता है।
- प्रथम प्रस्तर का प्रारम्भ कुछ इस तरह किया जाता है —
- “उपर्युक्त विषय के संदर्भ में आपसे आग्रह है कि कृपया अपने पूर्व पत्र-व्यवहार सं० …. दि० …. का संदर्भ ग्रहण करें।
- अनुस्मारक की प्रतिलिपि सामान्यतः नहीं भेजी जाती है, क्योंकि यह कोई मूल पत्र न होकर मात्र किसी पूर्ववर्ती मूलपत्र का अनुगामी होता है। परन्तु आवश्यक होने पर जहाँ मूल-पत्र की प्रतिलिपियाँ गयी हो वहाँ अनुस्मारक की प्रतिलिपि भी भेजी जा सकती है।
प्रारूप
सरकारी पत्र ( Official Letter )
कार्यालय आदेश ( Office Order )
अधिसूचना / विज्ञप्ति ( Notification )
कार्यालय ज्ञाप ( Office Memorandum )